Stories Of Premchand

  • Autor: Vários
  • Narrador: Vários
  • Editor: Podcast
  • Duración: 617:12:12
  • Mas informaciones

Informações:

Sinopsis

Stories of Premchand narrated by various artists

Episodios

  • Vayam Rakshamah - Part 31 - Rakshsendra Ravan | वयं रक्षाम: - भाग 31 - राक्षसेन्द्र रावण | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    29/07/2022 Duración: 10min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 30 - Anarya Jan | वयं रक्षाम: - भाग 30 - अनार्य जन | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    28/07/2022 Duración: 10min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 29 - Uttar Kaushal | वयं रक्षाम: - भाग 29 - उत्तर कौशल | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    28/07/2022 Duración: 07min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 28 - Aanart | वयं रक्षाम: - भाग 28 - आनर्त | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    28/07/2022 Duración: 10min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 27 - Daashraaj Sangraam | वयं रक्षाम: - भाग 27 - दाशराज - संग्राम | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    28/07/2022 Duración: 12min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 26 - Paurav | वयं रक्षाम: - भाग 26 - पौरव | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    28/07/2022 Duración: 05min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 25 - Devendra Nahush | वयं रक्षाम: - भाग 25 - देवेन्द्र नहष | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    27/07/2022 Duración: 06min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 24 - Wartraghn | वयं रक्षाम: - भाग 24 - वार्ताघ्न | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    27/07/2022 Duración: 11min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 23 - Pururwa Aur Uske Vanshdhar | वयं रक्षाम: - भाग 23 - पुरुरवा और उसके वंशधर | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    27/07/2022 Duración: 09min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 22 - Maanaw | वयं रक्षाम: - भाग 22 - मानव | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    27/07/2022 Duración: 05min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 21 - Aaryawart | वयं रक्षाम: - भाग 21 - आर्यावर्त | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    27/07/2022 Duración: 03min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 20 - Taarkaamay | वयं रक्षाम: - भाग 20 - तारकामय | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    26/07/2022 Duración: 04min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 19 - Indra | वयं रक्षाम: - भाग 19 - इन्द्र | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    26/07/2022 Duración: 08min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 18 - Swarn Lanka Mein | वयं रक्षाम: - भाग 18 - स्वर्ण लंका में | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    26/07/2022 Duración: 16min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 17 - Madhuyaamini | वयं रक्षाम: - भाग 17 - मधुयामिनी | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    26/07/2022 Duración: 14min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 16 - Sumba Dwip Mein | वयं रक्षाम: - भाग 16 - सुम्बा द्वीप में | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    26/07/2022 Duración: 10min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 15 - Wache Purushmalbhet | वयं रक्षाम: - भाग 15 - वाचे पुरुषमालभेत | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    25/07/2022 Duración: 13min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 14 - Jal - Dev | वयं रक्षाम: - भाग 14 - जल - देव | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    25/07/2022 Duración: 08min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 13 - Daanav Makraaksh | वयं रक्षाम: - भाग 13 - दानव मकराक्ष | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    25/07/2022 Duración: 12min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

  • Vayam Rakshamah - Part 12 - Laghu Abhiyan | वयं रक्षाम: - भाग 12 - लघु अभियान | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास

    25/07/2022 Duración: 14min

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ ht

página 58 de 102