Amritvani - Sant Kabir, Mira
Ka kahi kese kahi ko patiyai
- Autor: Vários
- Narrador: Vários
- Editor: Podcast
- Duración: 0:17:15
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Sinopsis
‘‘का कही केसे कही के पतिआई’’- वह परमात्मा कहने में नहीं आता, अनुभवगम्य है। वह परमात्मा एक ऐसा पुष्प हैं जिसका स्पर्श करते ही मनरूपी भ्रमर उसी में विलीन हो जाता है। परमात्मा ही शेष बचता है। प्राप्तिकाल का चित्रण प्रस्तुत भजन में देखें। #Kabir #Mira #Sadhguru