Stories Of Premchand
9: प्रेमचंद की कहानी "आभूषण" Premchand Story "Abhooshan"
- Autor: Vários
- Narrador: Vários
- Editor: Podcast
- Duración: 0:42:03
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Sinopsis
मगर मंगला की केवल अपनी रूपहीनता ही का रोना न था। शीतला का अनुपम रूपलालित्य भी उसकी कामनाओं का बाधक था बल्कि यह उसकी आशालताओं पर पड़नेवाला तुषार था। मंगला सुन्दरी न सही पर पति पर जान देती थी। जो अपने को चाहे उससे हम विमुख नहीं हो सकते। प्रेम की शक्ति अपार है पर शीतला की मूर्ति सुरेश के हृदय-द्वार पर बैठी हुई मंगला को अंदर न जाने देती थी चाहे वह कितना ही वेष बदल कर आवे। सुरेश इस मूर्ति को हटाने की चेष्टा करते थे उसे बलात् निकाल देना चाहते थे किंतु सौंदर्य का आधिपत्य धन के आधिपत्य से कम दुर्निवार नहीं होता। जिस दिन शीतला इस घर में मंगला का मुख देखने आयी थी उसी दिन सुरेश की आँखों ने उसकी मनोहर छवि की एक झलक देख ली थी। वह एक झलक मानो एक क्षणिक क्रिया थी जिसने एक ही धावे में समस्त हृदय-राज्य को जीत लिया उस पर अपना आधिपत्य जमा लिया। सुरेश एकांत में बैठे हुए शीतला के चित्र को मंगला से मिलाते यह निश्चय करने के लिए कि उनमें क्या अंतर है एक क्यों मन को खींचती है दूसरी क्यों उसे हटाती है पर उसके मन का यह खिंचाव केवल एक चित्रकार या कवि का रसास्वादन-मात्र था। वह पवित्र और वासनाओं से रहित था। वह मूर्ति केवल उसके मनोरंजन की